FACTS ABOUT भाग्य VS कर्म REVEALED

Facts About भाग्य Vs कर्म Revealed

Facts About भाग्य Vs कर्म Revealed

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हम लोग दैनिक जीवन की मामूली से मामूली बातों में देख सकते हैं की स्ट्रेस करने से थकान महसूस होती है , एनर्जी लेवल डाउन होता है और काम बिगड़ जाता है

कहीं टूटा पुल तो कहीं हेलीकॉप्टर क्रैश… लोगों के लिए साबित हुआ हादसों का रविवार!

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यहां यह समझना भी जरूरी है कि भाग्य होता क्या है। साधारण शब्दों में कहा जाए तो कुछ अप्रत्याशित होने को ही भाग्य कहा जाता है। अच्छा हो तो सौभाग्य, बुरा हो तो दुर्भाग्य। बहुत से लोग मानते हैं कि भाग्य नाम की चीज होती ही नहीं। मनुष्य अपने पुरुषार्थ के बल पर ही भाग्य (तकदीर) का निर्माण करता है। कहा जाता है कि उद्योग करने वाले सिंह के समान पुरुष को लक्ष्मी स्वयं प्राप्त होती है।

विनोद काम्बली और सचिन को ही ले लें….दोनों एक जैसे मेहनती थे पर भाग्य ने एक को कहाँ पहुंचा दिया और दुसरे को कहाँ छोड़ दिया.

हर साल लाखों युवा हीरो बनाने मुंबई जाते हैं, पर क्या हेमशा वही हीरो बनता है जो सबसे मेहनती होता है….

अरे check here ,ये तो भाग्य है

प्रेमानंद महाराज के पास कई लोग अपनी जिज्ञासाएं और समस्याएं लेकर आते हैं। प्रेमानंद महाराज के विचार और उपदेश भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं और वेदांत पर आधारित होते हैं और इसी ज्ञान क आधार पर वो लोगों के सवालों का समाधान करते हैं। जब उनसे ये सवाल पूछा गया कि क्या कर्म के द्वारा भाग्य को बदला जा सकता है, तो उन्होंने कहा कि कर्म और भाग्य दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण पहलू हैं और ये एक-दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं।

यदि विपरीत परिस्थितियों में भी लोग सुखी रहकर जीवन व्यतीत कर रहे होते हैं तो इसका श्रेय उनके संचित कर्म को जाता है। जब रावण अपने जीवन में अत्यधिक शक्तिशाली एवं सुखी था तब यह उसके संचित कर्म का परिणाम था। मगर उसी रावण के घर कोई दीया जलाने वाला तक नहीं रहा तो यह उसका प्रारब्ध था। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है कि ‘अपने विचारों पर नियंत्रण रखो, नहीं तो वे तुम्हारा कर्म बन जाएंगे और अपने कर्मो पर नियंत्रण रखो, नहीं तो वे तुम्हारा भाग्य बन जाएंगे।’

आचार्य जी-बहुत अच्छे, मुझे यह जानकार खुशी हुई की आप गीता में भी विश्वास रखते हैं।

मैं बड़े ही असमंजस में पढ़ गया और कुछ और हिम्मत जुटा कर बोला।

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कर्म की मुख्य अवधारणा यह है कि सकारात्मक कार्य से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है और नकारात्मक कार्य का परिणाम नकारात्मक होता है। इन दोनों के बीच कारणिक संबंध व्यक्ति के स्वास्थ्य की स्थिति को शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक दृष्टि से प्रतिदिन निर्धारित करता है।

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